डॉ0 एच सी विपिन कुमार जैन" विख्यात"
सीआरपीएफ शौर्य दिवस: अमर गाथा
मेरठ की इस पावन धरती से,
गुंजित हो शौर्य की अमर कथा।
सीआरपीएफ के वीरों का,
गाथा लिखता हर एक क्षण नया।
नौ अप्रैल, उन्नीस सौ पैंसठ की,
वो तारीख स्वर्णिम अक्षरों में जड़ी।
सरदार पोस्ट पर रणभेरी बजी,
जब शत्रु की नापाक नज़रें गड़ीं।
चंद वीर जवान, साहस की चट्टान,
दुश्मन की बड़ी फ़ौज से भिड़ गए।
अदम्य पराक्रम, अद्भुत बलिदान,
मातृभूमि की रक्षा में सर्वस्व दिए।
वो आठ वीर सपूत, अमर हो गए,
शौर्य की ज्वाला दिलों में जगाई।
हर साँस में देशभक्ति का जज़्बा भर गए,
भारत माँ की लाज उन्होंने बचाई।
उनकी याद में हर वर्ष ये दिन आता है,
सीआरपीएफ का शौर्य दिवस कहलाता है।
बलिदान की गाथा गाता है ये पल,
कर्तव्यनिष्ठा का देता अनुपम बल।
ये वर्दी धारी, देश के प्रहरी,
हर चुनौती का करते हैं सामना।
आतंक हो या नक्सल का अंधेरा,
हर मुश्किल में दिखाते हैं दम अपना।
कश्मीर की वादियों से लेकर,
बस्तर के घने जंगलों तक।
शांति और सुरक्षा का ध्वज लिए,
ये वीर खड़े हैं अडिग हर पल।
इनकी रगों में बहता है शोणित,
जो मिट्टी की रक्षा का संकल्प लिए।
परिवार से दूर, त्याग की मूरत,
भारत माँ की सेवा में अर्पित जिए।
सीआरपीएफ का शौर्य दिवस,
सिर्फ एक तिथि नहीं, एक भावना है।
उन वीरों को नमन, जिन्होंने हँसते-हँसते,
देश के लिए अपना जीवन लुटाया है।
आओ मिलकर गाएं ये गौरव गान,
शौर्य और बलिदान की ये अमर कहानी।
सीआरपीएफ के हर जवान को सलाम,
जिनकी वीरता पर गर्व करे हर भारतवासी प्राणी।
जय हिन्द! जय सीआरपीएफ!