क्या जीवन होगा
अगर मैं कहूं कि
विश्व में कोई गरीब ना हो
तो क्या जीवन होगा
अगर आकाश को पाताल
पाताल को आकाश कह दूं
तो क्या जीवन सरल होगा
जीवन केवल जीना ही नहीं है,
अपनी सत्ता के लिए स्थान परिवर्तन
और समाज का अच्छा वेतन जरूरी है,
वेतन केवल वेतन से
काम नहीं चल सकता ,
जीने की इच्छा न हो ,
यह किसी को अच्छा लगता
जीवन में परिवर्तन के लिए
कुछ खोना भी जरूरी है
साक्षरता शिक्षण विधि
इसको सरकार की मंजूरी है
लोग तिजोरी में धन को गाड़े रखते हैं,
झूठ खुद को गरीब बकते हैं
लेकिन वास्तव में गरीब तो वह है,
जिसको खाना खाने के लिए भी
किसी को छोड़ना पड़ता है,
फिर बैठे-बैठे ठिठक ठिठक कर रोना पड़ता है
रोना
रोने और होने में दोनों में कुछ अंतर है
शिक्षा समाज को सुधरेगी यही महामंत्र
----अशोक सुथार