भावनाओं की डोर
पल गुज़रते जाते हैं
वक़्त बदलता रहता है
ज़िन्दगी भी कभी तेज कभी धीमी चलती रहती है
नहीं बदलती वो है भावनाओं की डोर
कोई चाहे या नहीं सबको बाँधे हुए है
कोई दुनिया में रहे या नहीं
भावनाएँ हैं जो कभी खत्म नहीं होती
न कभी छुप सकती हैं न छुपा सकते हैं
हँसना,रोना,यादों का आना जाना
हर उम्र के जीने की वजह है
कोई यादों में जीता है
कोई यादों से जीता है
कभी कमज़ोर बनाती हैं भावनाएँ
कभी हमारी ताकत भी बनती हैं
तो कभी नींद में आकर सहला जाती हैं
यह डोर सुलझी उलझी सी जरुर है
पर दिल से दिल को जोड़ने वाला प्रकृति का दिया खूबसूरत उपहार है ..
----वन्दना सूद
सर्वाधिकार अधीन है

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




