अपनों से ठोकरों का सिला क्या है,
मेरा रब जाने जो दिल में संजो कर रखा है,
कुछ कसक इस कदर है सीने में,
सौ बार जन्म लेकर भी दिल की दुआ क्या है,
दिल की दुआ क्या है,
तन्हाइयों में जो बातें सिमती हुई हैं,
मैं कैसे बताऊँ तेरा मेरा रिश्ता क्या है,
तेरा मेरा रिश्ता क्या है....कवि राजू वर्मा
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