ख्वाब से दिल लगाने लगे हैं कभी आह लाकर लबों पे हम कुछ सोच कर मुस्कराने लगे हैं
मिला भी तू ऐसे जैसे खफा हो मुझसे ख्वाब में लाकर तुम्हें बात दिल की अपनी बताने लगे हैं
ये भी नहीं कि तुम्हें याद किया मैने कम तो फिर अब शक क्यूं वजह तुमसे हम पूछने लगे हैं
तू इतना जल्दी ना कर फैसला खिलाफ मेरे बता कर दर्द अब तुमको हम समझाने लगे हैं
गर फितरत है तेरा दिल तोड़ना तो गलत है सोच के तुम्हें अपना बात दिल की बताने लगे हैं
🙏मेरी स्वरचित गज़ल किस्सा ए नादानी🙏