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The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

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Dastan-E-Shayra By Reena Kumari PrajapatDastan-E-Shayra By Reena Kumari Prajapat

कविता की खुँटी

                    

चेहरे पे है नकाब

चेहरे पे है नकाब

चेहरे, पे है, नकाब, हुजूर, हल्का- हल्का
आखों, में है जनाब, सुरूर हल्का- हल्का
गिरने ही वाली है ये बिजलियाँ कहीं पर
खिसकेगा जब नकाब, हुजूर हल्का-हल्का
जी, भर के देखने दो, ये हुस्न, ये शबाब
ढ़लने, दो, ये, हिजाब, हुजूर हल्का-हल्का
मय पी लूं मैं लबों से, ये चाहता है दिल
चखने, दो, ये, सुवाद, हुजूर हल्का-हल्का
ऐसा, न हो कहीं गुजर जाए, ये जिन्दगी
छलकने दो ये शराब हुजूर हल्का -हलका
न, छोङ, जाना मुझे, तू यूं अकेला यादव
होता है, नशा, जनाब, जरूर हल्का-हल्का
- लेखराम यादव


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सर्वाधिकार अधीन है


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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (5)

+

रीना कुमारी प्रजापत said

बहुत खूब

Lekhram Yadav replied

रीना कुमारी प्राप्त जी धन्यवाद

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' said

Mahfil Yahin Jama Di Yadav Sir.

Lekhram Yadav replied

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' जी आपके बिना सूनी है ये महफिल आओ फिर से मिल कर सजाते हैं।

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' said

Ghazab Kayi Baar Padh Liya Man Nahin Bhar Raha

Lekhram Yadav replied

अशोक कुमार पचौरी जी आपके बिना मेरी रचनाएं अधूरी थी स्वागत है आपका ।

Muskan Kaushik said

बेहतरीन

Lekhram Yadav replied

मुस्कान कौशिक जी आपका पुनः स्वागत है ।

वन्दना सूद said

बहुत सुन्दर रचना 👌👌👏👏

Lekhram Yadav replied

वन्दना जी आपको धन्यवाद सहित सादर नमस्कार।

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