वे खुद फटी कमीज़ पहनते है और
मुझसे कहते है कि सुथरे कपड़े पहना कर,
वो खुद खाते तो एक वक्त की रोटी है मगर
मुझसे कहते है कि भूखा न रहा कर,
उनकी जेबें रहती है अक्सर खाली
उनकी ख्वाहिशें हैं अब तक अधूरे ,
फिर भी मुझसे कहते हैं की तेरी हर ख्वाहिश करूंगा पूरी,
अरे बाप हूं तेरा जो चाहिए वो मुझसे कहा कर।।
–कमलकांत घिरी