वे खुद फटी कमीज़ पहनते है और
मुझसे कहते है कि सुथरे कपड़े पहना कर,
वो खुद खाते तो एक वक्त की रोटी है मगर
मुझसे कहते है कि भूखा न रहा कर,
उनकी जेबें रहती है अक्सर खाली
उनकी ख्वाहिशें हैं अब तक अधूरे ,
फिर भी मुझसे कहते हैं की तेरी हर ख्वाहिश करूंगा पूरी,
अरे बाप हूं तेरा जो चाहिए वो मुझसे कहा कर।।
–कमलकांत घिरी

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




