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The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

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Dastan-E-Shayra By Reena Kumari PrajapatDastan-E-Shayra By Reena Kumari Prajapat

कविता की खुँटी

                    

बचपन के दिन

हमे पता ही नही चला हम कब बड़े हो गए,
वो बचपन में स्लेट पर कलम से लिखना याद हैं,
मुझे, जब न कोई मोबाइल था न इंटरनेट याद हैं
हमारे पहले दिन गिल्ली डंडा,, पहिया चलाने में बीत जाया करता था, याद हैं मुझे,,,, पहले का वो स्कूल जाना, दोस्तो का आना बुलाने के लिए याद हैं......... मुझे | अब कहां चला गया वो बचपना आजकल के बच्चों में , इंटरनेट आने से सबकुछ इतना अच्छा ना , पर गलती इंटरनेट की भी नही हैं इसमें....... इंटरनेट भी बहुत लाभकारी हैं हमारे लिए यह हमे अनेकों सुविधाएं प्रदान करता हैं..... अगर इसका सही से उपयोग करे तो नही तो ये भी हमारे लिए हानिकारक ही हैं......... आधुनिक युग के बच्चे इसका मुख्यत: गलत उपयोग ही करते जैसे सोशल मीडिया पर रील्स, शॉर्ट्स स्क्रॉल करते रहते है , में यह नही कहता हु की सोशल मीडिया गलत हैं मगर इसका उपयोग हमे अपने अच्छे कार्य के लिए करना चाहिए न कि,
वक्त बरबाद करने के लिए......... यूट्यूब पर हम अपना कंटेंट अपलोड करके नेम फेम कमा सकते हैं और पैसा भी कमा सकते हैं। तो अपने इंटरनेट का सही इस्तेमाल करना चाहिए.......
कहां चला गया आजकल के बच्चों का बचपन ...
इसी पर मुझे एक शायरी याद आ गई .........
[ ऐ मजबूरी मेने तुझे कुछ कहा तूने सुना नही.......
] तु छीन सकती हैं मेरा बचपन लेकिन बचपना नही]
इसे के साथ ये देव अपने शब्दों को यही विराम देता हैं.......
यहां तक पढ़ने के लिए धन्यवाद ......
Devraj malviya✍️.......




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