जब तलक जिंदगी में
संकटों का दौर नहीं होता
जीने का मजा,
कुछ और नहीं होता
सावन बरसे, न बरसे
ये मौसम की खुराफाती है
बिना बसंत के
आम का बौर नहीं होता
मन के भीतर शोर है
मन के बाहर शोर है
कोई बताए जरा,
कहां कहां शोर नहीं होता।
सर्वाधिकार अधीन है