मोह की डोर
डोर अमूल्य अदभुत एक छोटा सा शब्द
कोई इस शब्द के बन्धन से नहीं बच सका
सुन्दरता,एकता,विश्वास और भावनाएँ
ज़िन्दगी के इन अनमोल रत्नों को यही डोर ही बाँधती है
डोर मोतियों में पिरो दें तो खूबसूरत हार बना देती है
वही फूलों में हो तो माला बना देती है
अगर बाँध दे रिश्तों को तो जज़्बात जगा देती है ।
मगर प्रकृति भी नियम की डोर से बँधी है
हर अच्छाई अपने साथ कोई ख़ामी भी ज़रूर लाती है
सबको जोड़ने वाली मज़बूत डोर आसानी से टूट भी जाती है
चाहे वह माला की हो ,फूलों की या हो फिर रिश्तों की
टूटी डोर में गाँठ लगा कर माला ,फूल और रिश्ते जुड़ भी जाया करते हैं
मगर नई डोर से नया आगाज़ कर सबको निखार भी सकते हैं
और मोह की डोर को भावनाओं में न बहाया तो हर ख़ामी भी अच्छाई में बदल सकती है ॥
वन्दना सूद