रंग घोला जा रहा है तालाब के पानी में
बदल देंगे सोंच,कथानक नया कहानी में।
वारदातें वही होंगी जो पहले से तय होंगी
बुढ़ापा बचपन डूबते नशे की जवानी में।
जो तय है वही होगा, नतीजे मुट्ठियों में
उठेंगी सैकड़ो लहरें वक्त की रवानी में।
हवाएं तूफानी उठाई जायेंगी हर रोज
कश्तियां कई डुबोई जायेंगी पानी में।
रंग घोला जा रहा है तालाब के पानी में
बदल देंगे सोच,कथानक नया कहानी में।
-दिनेश चौहान