राजनीति के बारे में अब एक शब्द भी नहीं कहूँगा
तकली मेरे साथ रहेगी, मैं तकली के साथ रहूँगा
नहीं ज़रूरत रही देश में सत्याग्रह की, अनुशासन है
सही राह पर हाकिम हैं तो भली जगह पर सिंहासन है
संकट पहुँचा चरम बिंदु पर, एक वर्ष तक रहा मौन मैं
नहीं पता चलता था बिल्कुल, कौन आप हो, और कौन मैं
बहुत किया जब चिंतन मैंने, तकली का तब मिला सहारा
आओ भाई, छोड़-छाड़कर राजनीति की सूखी धारा
सत्य रहेगा अंदर, ऊपर से सोने का ढक्कन होगा
चाँदी की तकली होगी, तो मुँह में असली मक्खन होगा
करनी में गड़बड़ियाँ होंगी, कथनी में अनुशासन होगा
हाथों में बंदूक़ें होंगी, कंधों पर सिंहासन होगा
तकली से तकलीफ़ मिटाओ, बाक़ी सब कुछ सहते जाओ
ख़ुद ही सब कुछ सुनते जाओ, ख़ुद ही सब कुछ कहते जाओ
ठंड लगे तो गुदमा ओढ़ो, भूख लगे तो मक्खन खाओ
राजनीति का लफड़ा छोड़ो, बस, बाबा पर ध्यान जमाओ
बीस सूत्र हैं, बस काफ़ी हैं, निकलें इनसे लाखों धागे
तुम आओगे पीछे-पीछे, मैं जाऊँगा आगे-आगे
चीफ़ मिनिस्टर पैर छुएँगे, शीश नवाएँगे ऑफ़िसर
सवदय का जादू अबके नाचेगा शासन के सिर पर
आध्यात्मिकता पर बोलूँगा, बोलूँगा विज्ञान तत्व पर
राजनीति का ज़िक्र करूँगा थोड़ा-थोड़ा ऊपर-ऊपर
वही सुनूँगा याद रखूँगा जो मुझसे निर्मला कहेगी
लोगों से मिलने-जुलने का माध्यम मेरा वही रहेगी
शांति, शांति, संपूर्ण शांति बस, मेरा एक यही नारा
अपना मठ, अपने जन प्रिय हैं मुझको प्रिय अपना इकतारा
मुझको प्रिय है मैत्री अपनी, प्रिय है यह करुणा कल्याणी
अपने मौन मुझे प्यारे हैं, मुझको प्रिय है अपनी वाणी
दुर्जन हैं जो हँसते होंगे, बाबा उन पर ध्यान न देता
बकवासों का अंत नहीं है, बाबा उन पर कान न देता
बता नहीं पाऊँगा यह मैं, मौन मुझे कितना प्यारा है
बता नहीं पाऊँगा यह मैं कौन मुझे कितना प्यारा है
आज वृद्ध हूँ, बचपन में था भोली माँ का भोला बालक
महा-मुखर था कभी, आज तो महा-मौन का हूँ संचालक
सब मेरे, मैं भी हूँ सबका, मेरी मठिया सबका घर है
आप और हम सब नीचे हैं, सबके ऊपर परमेश्वर है
राजनीति के बारे में अब एक शब्द भी नहीं कहूँगा
तकली मेरे साथ रहेगी, मैं तकली के साथ रहूँगा

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




