पत्थर का हो गया, भगवान।
न्याय हो गया मौन।
भाई भाई को मार रहा।
बन गया क्या से क्या,
इंसान।
पुकार रहा है, " विख्यात",
तुमको बार-बार।
आ जाओ अपनी दुनिया में,
फिर से लेकर अवतार।
अहिंसा परमो धर्म है।
फिर से सिखलाओ।
थांम की उंगली फिर,
इनका चलना सिखलाओ।
अहिंसा की लाठी की ताकत,
इन्हें सिखलाओ।
कभी स्वाद के लिए,
कभी स्वार्थ के लिए।
प्रकृति को जला रहे,
अपने ऐशो आराम के लिए।