रास्तों की तलाश
अलग-अलग रास्तों पर भटका,
जैसे धुंध में खोया हुआ मुसाफिर।
हर मोड़ पर एक परछाई मिली,
जो करीब होकर भी अनजानी रही।
मंज़िलें देखीं, पर हर राह सूनी लगी,
जैसे घने कोहरे में सूरज की तलाश।
हर जीत हाथ आई, पर खुशी न मिली,
जैसे सूखी मिट्टी पर बूँदें गिरकर खो जाएं।
दौलत-शोहरत बर्फ के फूलों सी लगती,
सुंदर मगर हाथों में टिकती नहीं।
तेरी यादें जैसे शीतल हवा का झोंका,
जो छूकर भी खालीपन छोड़ जाती हैं।
अब भी कहीं दूर, एक झील सी खामोशी है,
जिसमें तेरी झलक धुंधली मगर मौजूद है।
शायद वहीं मिलेगा वो सुकून,
जो वक्त और फासलों से परे है।

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




