खा पीकर डकारते नही एहसास बदल लेते।
त्यौहार आने पर अपना लिबास बदल लेते।।
कोई और मिल जाए पुराने की जरूरत नही।
पुराना जाएगा कहाँ नये से आस बदल लेते।।
फिर कुछ यादें पलट-पलट कर आ जाती।
उनसे कुछ हासिल नही इतिहास बदल लेते।।
समय की फितरत हिसाब-किताब मांगती।
गाँव न छोड़ते 'उपदेश' आस-पास बदल लेते।।
- उपदेश कुमार शाक्य वार 'उपदेश'
गाजियाबाद