इन्सान को इन्सान बनने में,
कहीं तो चूक हो रही है !!
आजकल जीने के तरीके में,
कुछ तो चूक हो रही है !!
वर्ना ज़िन्दगी की मिठास दिनों-दिन, आखिर इतनी कम क्यों हो रही है !!
क्या अशफ़ाक उल्ला खान जैसे लोग,
सिर्फ नाम ही बनकर रह गये हैं !!
क्या चंद्रशेखर, भगत सिंह खुदीराम बोस,
सिर्फ इतिहास बनके ही रह गये हैं !!
क्या वतन के लिए मर-मिटने वालों का,
यही अंजामें गुलिस्तां होगा !!
अपनों को अपना समझने में,
कहीं तो चूक हो रही है !!
वतनपरस्तों के लिए सर झुकाने में,
कुछ तो हमसे भूल हो रही है !!
आपस की अभिव्यक्ति में हमें,
देश को ध्यान में रखना होगा !!
धर्म हो चाहे जो भी अपनी,
जय हिन्द हमें कहना ही होगा !!
सर्वाधिकार अधीन है

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




