भाड में झौक दिया विश्राम कहाँ।
जिम्मेदारियों के बीच आराम कहाँ।।
मिलने आया हूँ महिनो बाद तुम से।
खुशी का लम्हा बेहाल आम कहाँ।।
तुम्हारे इश्क में पड़कर याद नही।
बहुत दुख-दर्द भुलाए आम कहाँ।।
फिर निकलना वही मुश्किल डगर।
साथ तुम्हारा 'उपदेश' आम कहाँ।।
- उपदेश कुमार शाक्यावार 'उपदेश'
गाजियाबाद