नजर नजर में हुई मोहब्बत,
बेकरारी से दिल बेहाल हुआ।
खुदा खैर करे उनकी 'उपदेश',
जिनका मरने जैसा हाल हुआ।
तुम्हारे चर्चे सुनने को मिल जाते,
रिश्तेदारों का एक सवाल हुआ।
मायका आज भी प्यारा लगता,
जब भी आती घर में बवाल हुआ।
आँखें तरस गई दर्शन न हुए,
विरह का तीसरा साल हुआ।
सपने में क्या करने आती तुम,
तुम्हारी शरारत से बेहाल हुआ।
- उपदेश कुमार शाक्यावार 'उपदेश'
गाजियाबाद