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The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

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Dastan-E-Shayra By Reena Kumari PrajapatDastan-E-Shayra By Reena Kumari Prajapat

कविता की खुँटी

                    

एक निमंत्रण पत्र- सम्पादक जी के नाम पार्ट-7

महोदय
हम आपको यह भी बताना अपना सौभाग्य समझते हैं कि ऐसा नहीं है कि इस स्विमिंग पूल का गली मोहल्ले वाले लोगों या पड़ौसियों को कोई लाभ नहीं है। यह एक लोकतान्त्रिक, कल्याणकारी और उत्पादक स्विमिंग पूल है जिस से हर कोई अभिभूत है। प्रशासनिक अधिकारी, कर्मचारी, पालिटिशियनस, सोशल वर्कर तथा आम नागरिक भी इसके आगे फीके पड़ जाएं। जब कोई गाड़ी इस स्विमिंग पूल के सड़े हुए और बदबूदार पानी को चीर कर गुजरती हैं, तो इसकी दुर्गंध भी किसी सेनेटाइजर या इत्र से कम नहीं होती। पानी की निकासी सही न होने पर इसका सबसे ज्यादा लाभ मच्छर ही उठाते हैं, चाहे वे डेंगू के हों या मलेरिया के। बाकी अन्य मच्छरों, कीट पतंगों और मक्खियों का प्रवेश यहां पर पूर्णतः वर्जित है। बस कुछ कॉकरोच इस सुविधा का लाभ उसी तरह से ले सकते हैं जैसे पीले राशन कार्ड धारक राशन डिपो से राशन सुविधा का लाभ उठाते हैं या फिर जैसे कोई एन.आर.आई. अमेरिकी ग्रीन कार्ड की सुविधा का लाभ उठाते हैं। ऐसे में मलेरिया और डेंगू के मच्छरों की पो - बारह रहती है। रात को जब मच्छरों की बारात सज धज कर निकलती है तो हर व्यक्ति ऐसा अनुभव करता है कि जैसे कोई आतंकी हमला हो गया है। मच्छरों का यह सेवा मंडल अपनी सेवाएं बिल्कुल निशुल्क प्रदान करता है, भले ही कोई इसके लिए शुल्क दे या न दे। किसी की क्या मजाल कि वो इनकी संगीत सेवाओं की अवहेलना करे। इनका संगीत सुन कर तो मियां तानसेन भी शरमा कर अपना मुंह घूंघट में छुपा ले। यदि इस संगीत सेवा की कोई अवहेलना करता भी है तो उसे ये ऐसा सबक सिखाते हैं कि पांच सात दिन तो घर या अस्पताल के लाक अप में इस तरह कैद होकर रह जाते हैं जैसे कोई कैंसर का मरीज डायलिसिस पर लेटा हुआ हो। ऐसे लाॅक अप प्रायः उन लोगों के लिए उपयोगी सिद्ध होते हैं जो नौकरी पेशा, बिजनेस मैन या फिर
दिन भर घर से दूर रहने वाले हैं या सुबह-सुबह जल्दी घर से काम के लिए निकलते हैं और देर रात वापिस लौटते हैं और उन्हें घर पर रहने और आराम करने का अवसर या तो मिलता ही नहीं है या बहुत कम मिलता है। बच्चों को भी अपने संडे वाले पापा के दर्शन निरन्तर हो जाते हैं। इतने दिन आराम करते-करते कई छोटे बच्चे तो अपनी मम्मी से यह तक पूछने की हिमाकत कर बैठते हैं कि यह आदमी कौन है। ऐसे में मम्मी को वैसी ही समझाइश की खुराक बच्चे को पिलानी पड़ती है जैसे पोलियो की खुराक पिला दी हो। इसी बहाने मलेरिया पीड़ित लोगों को घर में रहने और परिवार के छोटे बच्चों के साथ जान पहचान बढ़ाने की विशेष सुविधा भी मिलती है और ऊपर से काम के बोझ की टेंशन अलग से खत्म।

महोदय मुझे आपको अगले भाग में एक ऐसे विशेष अतिथि से मिलवाने का मन कर रहा है जिसने हम सैक्टर वासियों के साथ-साथ पूरी दुनियां के लोगों की ऐसी बैंड बजा रखी है जो भुलाए नहीं भूल पाते हैं।

ओके फिर मिलते हैं आपसे नई कहानी के साथ। मैं यहां पर आपके धैर्य की दाद भी देना चाहूंगा कि आप ने जिस धैर्य से मेरे पत्र को स्वीकार किया और पढ़ा उसके लिए मैं आपका और सभी पाठकों का दिल से आभार प्रकट करता हूं। धन्यवाद।


शेष अगले भाग में ........


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