कापी राइट गीत - ख्वाब तो ख्वाब हैं
ख्वाब तो बस ख्वाब हैं ख्वाब का है क्या यकीं
यह एक पल में साथ हैं तो ये दूसरे पल में नहीं
याद सबको ख्वाब में
आते हैं गुजरे जमाने
ख्वाब के आते ही हम
चल पङे दुनियां बसाने
एक ही मुलाकात में ये
सज गए सपने सुहाने
इन ख्वाबों की बारात में
ये ख्वाब होते हैं सुहाने
आंख खुलते ही सनम
कुछ सामने होता नहीं
ख्वाब तो................
एक दिन एक ख्वाब में
मिल गया एक खजाना
उस खजाने के लिए ये
बन गया दुश्मन जमाना
तब मैं लङा जी जान से
हो गया मुश्किल बचाना
फिर एक फरिश्ता ले गया
मांग कर मुझ से खजाना
तब आंख मेरी खुल गई
वो हो गया गायब कहीं
ख्वाब तो ...................
एक दिन मैं ख्वाब में
यूं सीढ़ियां चढ़ने लगा
पंख मुझको लग गए
आकाश में उङने लगा
जोर का तूफान आया
और उस में घिर गया
पाताल सी गहराइयों में
मैं अचानक गिर गया
तब मैं गिरा था फर्श पर
बस और था कोई नहीं
ख्वाब तो ..................
- लेखराम यादव
( मौलिक रचना )
सर्वाधिकार अधीन है