दर्द ही देती रहोगी उम्र भर,
कभी उस पर मरहम भी लगाओगी क्या ?
ऐ जान मेरी तुम ये बताओ,
कि कभी खुशियां भी दोगी क्या ?
एक - एक बूंद ज़हर रोज़ाना देती हो मुझे,
कभी उस ज़हर को ख़त्म करने की दवा भी
दोगी क्या ?
ऐ जान मेरी तुम ये बताओ,
कि कभी इश्क़ भी मुझसे करोगी क्या ?
रुसवा पर रुसवा करती रही हो मुझे उम्र भर,
अब कभी इज़्ज़त भी दोगी क्या ?
ऐ जान मेरी तुम ये बताओ,
कि कभी मुझसे वफ़ा भी करोगी क्या ?
अपने मन की करती रही हो तुम उम्र भर,
कभी मेरे मन की भी करोगी क्या ?
ऐ जान मेरी ये बताओ,
कि कभी मेरे दिल की भी सुनोगी क्या ?
✍️ रीना कुमारी प्रजापत ✍️