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The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

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Dastan-E-Shayra By Reena Kumari PrajapatDastan-E-Shayra By Reena Kumari Prajapat

कविता की खुँटी

                    

मैं माँ नहीं बनी — फिर भी जनती रही

मैंने कोख में न सही,
पर कविता में बच्चे सँजोए हैं।
हर शब्द मेरी छाती से फूटा है —
जैसे दूध नहीं,पर दर्द टपक रहा हो।

मेरे आँचल में खिलौने नहीं,
पर अधूरी चिट्ठियाँ हैं —
जो मैंने रात के तीसरे पहर लिखीं,
जब सब सोते थे
और मैं किसी अनसुने रोने से जाग जाती थी।

मैं माँ नहीं बनी —
पर जब किसी ने कहा "मैं टूटी हूँ",
तो मैंने उसे अपने हृदय में रख लिया
जैसे कोई बच्चा —
जो बोल नहीं सकता
पर सब समझता है।

कभी दीवारों से टकराकर
अपने ही शब्दों को गले लगाया,
कभी कविता को लोरी बनाकर
ख़ुद को सुलाया।

मैं माँ नहीं बनी —
पर इस दुनिया के सारे टूटे हिस्सों को
अपने भीतर समेटकर
एक नया घर बनाया।

किसी ने पूछा — "माँ क्यों नहीं बनी?"
मैं हँसी, बोली — "क्योंकि मैं ज़रा अलग बनी।"

जिसने आँखों में झाँककर आत्मा को सींचा,
उसने भी तो कहीं न कहीं एक माँ ही जानी।

तुम्हारे लिए माँ कोख से होती है,
मेरे लिए माँ — मौन से होती है।

मैंने किसी बच्चे का नाम नहीं रखा,
पर हर पीड़ा को एक नाम दिया है।

मैं उस स्त्री की माँ हूँ
जो कभी रोई थी, चुप रही थी, सहती रही थी —
और अब खुद से जन्म ले रही है।

कहते हैं माँ बनने से औरत पूरी होती है,
पर मैं हूँ उस औरत से कहीं ज़्यादा।
मेरी पहचान उस कोख से नहीं,
उस दर्द से है जिसे मैंने सहा है,
उस अकेलेपन से है जिसे मैंने गले लगाया है।

मैं भी माँ हूँ — उन टूटे शब्दों की,
उन अधूरी कहानियों की,
और उन अधूरे सपनों की।

जो कोई मुझे पूरा न समझ पाए,
उसकी अपनी कमी है।
मैं किसी की मर्जी से बनती नहीं —
मैं खुद अपनी कहानी हूँ।”




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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (2)

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मनोज कुमार सोनवानी "समदिल" said

वाह बहुत सुंदर,दिल को छू लेने वाली रचना।एक नारी जो शक्ति का प्रतीक होती है, मां नहीं बन पाने के कारण उन्हें जो अधूरापन लगता है, उसके बावजूद उन्हें अपना सारा धर्म निभाना होता है। आपकी रचनाएं उम्दा होती ही हैं। शायद जी नमस्कार।

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' said

वाह! यह कविता दिल को छू लेने वाली, बेहद संवेदनशील और शक्तिशाली है। माँ बनने की पारंपरिक परिभाषा से परे, यह अपने दर्द और जज़्बातों को अपनाने वाली स्त्री की नई पहचान को बखूबी दर्शाती है। हर शेर में आत्म-स्वीकृति और मजबूती की गूँज है — एक सच्ची प्रेरणा। 🙏❤️

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