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The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra The Flower of WordThe novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

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Dastan-E-Shayara By Reena Kumari Prajapat

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कविता की खुँटी

                    

खाखी वर्दी में देखो सिंह का सर पर ताज है-ताज मोहम्मद

हमारी पुलिस का बड़ा ही निराला अन्दाज़ है।
खाखी वर्दी में देखो सिंह का सर पर ताज है।।

हो कितनी ही ठंडी, गर्मी या हो कितनी बारिश।
पुलिस ड्यूटी पर देखो हर मौसम में तैनात है।।

सारे कार्य पुलिस जहाँ से क्रियान्वित करती है।
संविधान ग्रन्थ में पुलिस थाना उसका नाम है।।

लोगों के हृदयों का यह पुलिस सुलह कराती है।
फिर भी सब कहते है होती पुलिस मक्कार है।।

बिन पुलिस के समाज की कल्पना ही बेकार है।
पुलिस ही है जो हर क्षण में हर वर्ग के साथ है।।

त्यौहारों में होता सभी के घरों में हर्षोल्लास है।
सारी खुशियां भूलकर पुलिस रक्षा में तैनात है।।

ऐसे कैसे कह देते हो पुलिस पैसों की होती है।
यह कहने से ही देखो पुलिस बड़ी बदनाम है।।

हर वक्त की तत्परता ही पुलिस की पहचान है।
बेसहारा,गरीबों की ये पुलिस होती भगवान है।।

वाद अपवाद तो होता है प्रत्येक क्षेत्र का नियम।
ईमानदार पुलिस वालों में होते कुछ बेईमान है।।

जहाँ पुलिस नहीं है बस अपराध ही अपराध है।
डरते है जिससे ये गुंडे वो पुलिस की हुंकार है।।

हर नौकरी में मिलता एक दिन का अवकाश है।
पुलिस की नौकरी में होता नहीं कोई इतवार है।।

कोई आपदा , दिक्कत जब समाज पर आती है।
दूर करने को इसे पुलिस होती हर वक्त तैयार है।।

पुलिस को लेकर सभी मन में होती गलत राय है।
पर पुलिस ही सभी का हर-हाल में देती साथ है।।

बिन पुलिस के आम आदमी की ना औकात है।
पुलिस ही है जिस से होता हर गुंडा परेशान है।।

पुलिस का होता ना यूँ कोई धर्म और भगवान है।
पुलिस के लिए बस सबसे ऊपर तो सविंधान है।।

पुलिस बेहतर समाज बनाने का होती आधार है।
यह अपनी पुलिस ही है जो हर धर्म के साथ है।।

मेरा कहना मानों तुम सब अपने मन को बदलो।
गर रूठी पुलिस तो सबका जीवन ही बेकार है।।

मुझे तो फख्र होता है और तुम्हें भी होना चाहिए।
किस्मत वाले है हम जो ये पुलिस हमारें साथ है।।

ताज मोहम्मद
लखनऊ




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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (3)

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विजय प्रकाश श्रीवास्तव said

खाकी वर्दी पहने पुलिस पर श्री ताज मोहम्मद जी की रचना बड़े अच्छे छन्दो में उनके द्वारा पिरोई गई है पर रचना की पुलिस वास्तविक पुलिस से मिलती जुलती नहीं है. Police का अर्थ ही हो गया है politically Iced = police लोकतंत्र में इसके मह्त्व को नकारा नहीं जा सकता . रचना के लिए साधुवाद. 👍

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' said

Waad apwaad har vyavastha me hota hai Taj Saahab lekin is vyavastha m kuch jyada hi hai personal experience hai. Baaki aapki rachna bahut sundar hai sabhi policewalon ki samaaj m bhumika bahut hi maayne rakhti hai jaisa ki aapne warnan kiya hai, lekin aprajakta jahan tak dekha hai wo bhi inhi logon ki mili bhagat ka natija hota hai mere sangyan m jitne bhi mamle hain unme aapke sapnon wali police ka koi vyaktitva mujhey nahi mila hai, lekin wastav m police ka yogdaan bilkul Aisa hi hona chahiye jaisa aapki rachna m hai...

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' said

Aapki uttam abhivyakti ke liye aapki jitni taareef ki jaaye kam hai lekin Taj saahab vastvikta iske vipreet hai

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