कविता : जरा देख लो.......
दुश्मन को नमस्कार करो
दुश्मन को प्यार करो
दुश्मन को समझाओ
दुश्मन को गले लगाओ
दुश्मन को खाने पर बुलाओ
दुश्मन को चौरासी व्यंजन खिलाओ
फिर देखो इतना करने के बाद
दुश्मन भी क्या करेगा याद
वह दुश्मन, दुश्मन नहीं रहेगा
वह तुम्हें जिंदगी भर दोस्त ही कहेगा
विश्वास न हो तो आजमाकर
जरा देख लो उसे एक बार
जरा देख लो उसे एक बार.......