हरिया - भाई दरिया कुछ लोग हमारी मोहब्बत की दुकान को बन्द करने पर तुले हुए हैं।
दरिया - भाई जी साफ-साफ बताओ क्या बात है।
हरिया - कुछ लोग चाहते हैं कि वो हमें अपनी उंगलियों पर नचाएं।
दरिया - भाई जी उन महान मूर्तियों के नाम के दर्शन तो कराओ।
हरिया - अरे वही अशोक कुमार पचौरी आर्द्र और रीना मैम।
दरिया - भाई जी अब उन्हें क्या हो गया।
हरिया - अरे होना क्या था, कभी उन्हें गब्बर और हरिया पसन्द नहीं आते तो कभी हमारी मोहब्बत की दुकान, अब कह रहे हैं ताज मोहम्मद जी लापता हैं कई दिन से उन्हें खोज कर लाओ। अब आप ही बताइए, मोहब्बत की दुकान चलाएं या ताज मोहम्मद को खोजने में इधर-उधर भटकें। पहले तो रीना मैम ने गब्बर और हरिया को किडनैप कर लिया और पुलिस एनकाउंटर में मीडिया के सामने मरवा दिया, अब कहते हैं कि वो बच गए थे। जब मिडिया ने उनकी मातम पुरसी ही कर दी है तो हम उन्हें जिन्दा कैसे कर सकते हैं। वैसे भी हमारे देश में अगर किसी को सरकारी कागजों में एक बार मरा हुआ दिखा दिया तो वह आदमी खुद को जिन्दा साबित करने के लिए कितने पापड़ बेलने पड़ते हैं उन्हें क्या मालूम। वो शख्स चाहे सीएम के पेश हो या डीएम के, कुछ हो नहीं सकता, खुद को जिन्दा साबित करने में एड़ियां तो क्या उसकी हाईट भी घिस जाएगी, मगर जब तक सरकारी बाबू को कुछ खिलाया-पिलाया न जाए, क्या मजाल उसकी वो जिन्दा हो जाए। अब आप ही बताएं हम क्या करें।
दरिया - हां भाई जी, यह तो सत्य है कि हमने मोहब्बत की दुकान बड़ी मुश्किल से खोली थी और अब वे इसे बन्द करने के लिए हाई कोर्ट से सटे लेने के चक्कर में जरूर घूम रहे होंगे।
हरिया - इसी बात का तो रोना है, अगर सटे ले आए तो हम तो मुफ्त में मारे जाएंगे।
दरिया - भाई जी एक रास्ता है, हम किसी को आउटसोर्सिंग से नियुक्त कर लेते हैं और उसे ताज मोहम्मद को ढूंढने के लिए काम पर लगा देते हैं।
हरिया - दरिया भाई, आपको तो मालूम है कि देश में बेरोजगारी दिन प्रतिदिन बढ़ती ही जा रही है और उपर से विपक्षी पार्टियों का प्रदर्शन और धरना हमें बेचैन किए हुए है, फिर किसी रिटायर्ड व्यक्ति को आउट सोर्सिंग पर रख कर किसी बेरोजगार युवक की छाती पर लात कैसे मार सकते हैं।
हरिया - भाई जी आपकी बात में दम है, मगर मजबूरी में गधे को बाप तो बनाना ही पड़ेगा ना।
हरिया - ठीक है आज ही अखबार में एक विज्ञापन दे दो फिर तलाश करते हैं ताज मोहम्मद की, वो कौन से बिल में छुपा बैठा है।
दरिया - ठीक है भाई जी, अभी देता हं।
हरिया - अरे, आज आप अपने पाठकों का मनोरंजन करने के लिए क्या सुना रहे हो।
दरिया - भाई जी एक मुक्तक पेश करना चाहता हूं लेकिन लिखन्तु डाॅट काॅम के इन पठनतुओं को कुछ समझ आएगा या नहीं, इस बारे में कुछ कह नहीं सकता।
हरिया - ठीक है सुनाओ।
दरिया - लीजिए मुक्तक पेश है -
कितने अजीज हो आपको बताएं कैसे
सादगी अपनी ये आपको दिखाएं कैसे
अब कितने अनमोल हो तुम मेरे लिए
हम चन्द लफ्जों में आपको बताएं कैसे
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