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The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

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Dastan-E-Shayra By Reena Kumari PrajapatDastan-E-Shayra By Reena Kumari Prajapat

कविता की खुँटी

                    

शादी झमेला या खुशियों का मेला?


शादी एक बहुत बड़ा झमेला।
दूर से दिखता खुशियों का मेला है।
किससे होगी और क्यों होगी?
बस इसी में अटका yuth का रेला है। 1️⃣

भारत में एक लंबी कतार है।
जिसमें कुंवारों की भरमार है।
क्या लड़के और क्या ही लड़कियां!
परेशान, हैरान थके मांदे ज़ार-ज़ार है। 2️⃣

किसी को लड़की ऐसी चाहिए।
किसी को लड़का वैसा की दरकार है।
किसी को चारदीवारी वाली चाहिए।
किसी को foreign वाले का खुंमार है। 3️⃣

70's तक बाल विवाह होता था।
80's तक साल बारह की वार है।
90' तक सोलह-सत्रह पर बात रुकी।
20's तक उन्नीस-बीस पे हो जाती थी हार है। 4️⃣

लेकिन ये है twenty first century.
इसमें नई सोच की पुकार है।
किसी के भी गले जीवनभर को बंध जाना,
नहीं पसंद, yuth को गुज़रता नागवार है। 5️⃣

पिछली ज़िंदगियों को देखो,
तो झगड़ते मां-बाप नज़र आते है।
एक ही घर में रहते है,
और एक-दूसरे को ही नहीं भाते है। 6️⃣

Parents कहते दिखते है कि हम,
अपने बच्चों को पाल रहे है।
उन्हें नहीं गुमान कि उन्हीं के बच्चें,
उनके ही आपसी झगड़ों से खीज जाते है। 7️⃣


_____मनीषा सिंह




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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (6)

+

वन्दना सूद said

सही लिखा आपने 👌👌

मनीषा replied

धन्यवाद वन्दना सूद जी! 🙏

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' said

बहुत सुन्दर रचना मनीषा जी आपने 70',80',90',20',21' तक का खूब बयां किया, बच्चों की देखरेख या कहें पेरेंटिंग एक बहुत जिम्मेदारी का काम होता है, यह माता पिता को समझना होगा और किसी को तो समझाना होगा - शायद यह रचना समझा पाए, - लेकिन इसके इतर अगर देखा जाए तो पेरेंट्स अपनी जिंदगी [अपनी खुद की समझ में] [और जहाँ तक मेरा भी मानना है] बच्चों के लिए कुर्बान या समर्पित कर देते हैं और यह 70',80',90',20',21' हर समय में रहा है - हाँ यह ग्लोबल समस्या है कि पेरेंट्स [अधिकतम] समयानुकूल परिवर्तन को स्वीकार नहीं कर पाते हैं या कहीं ना कहीं समाज के ताने बाने से उभर नहीं पाते हैं और बच्चों पर अनुकूल ध्यान नहीं दे पाते - माफ़ कीजियेगा मेरा उद्देश्य आपकी रचना को challange करना या ऐसा वैसा नहीं है - पर पेरेंट्स हमेशा हर स्थिति में अपने बच्चों के साथ खड़े रहते हैं इसको भी नहीं नकारा जा सकता - बात युथ की करें तो मैं चुप रहना पसंद करूँगा क्यूंकि .......

मनीषा replied

जी! 🙏 कथन सहमति के साथ विभिन्न समय, काल, स्थान, मनुष्य, इत्यादि का भिन्न-भिन्न प्रभाव देखने को मिलता है। समीक्षा के लिए धन्यवाद आपका! 🙏

Priyanka said

Wow😯😯

मनीषा replied

धन्यवाद Priyanka जी! 🙏

रीना कुमारी प्रजापत said

सच कहूं मनीषा जी मेरे खयाल से तो शादी झमेला ही है

मनीषा replied

जी! 🙏 कथन सहमति के साथ विभिन्न समय, काल, स्थान, मनुष्य, इत्यादि का भिन्न-भिन्न प्रभाव देखने को मिलता है। समीक्षा के लिए धन्यवाद रीना कुमारी प्रजापत जी! 🙏

Suman Yadav said

Ek din ka Mela hai baki to fir jhamela hai

मनीषा replied

जी! 🙏 कथन सहमति के साथ विभिन्न समय, काल, स्थान, मनुष्य, इत्यादि का भिन्न-भिन्न प्रभाव देखने को मिलता है। समीक्षा के लिए धन्यवाद Suman Yadav जी! 🙏

Updesh Kumar Shakyawar said

अच्छा लिखा गया 👍🙏🏻

मनीषा replied

जी! धन्यवाद आपका! 🙏

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