आत्महत्या,
एक जघन्य अपराध,
प्रत्येक मानव के लिए,
जितना साहस करते,
इस कुकृत्य के लिए,
उतना जो कर लेते,
जीवित रहने के लिए,
जीवन जीते आराम से।
इस शब्द ने मन को,
झकझोर कर रख दिया,
क्या? इसे आत्महत्या,
कहना उचित होगा।
बल या छल पूर्वक,
शारीरिक प्रहार कर,
किसी को जान से मारना,
अगर हत्या है,
तो किसी को इस प्रकार,
विवश, लाचार करना कि,
उसके विचार, भावनाएँ,
चिंतन, मनन की क्षमताएं,
कुंठित हो कर मर जाएँ।
उसके जीवित रहने की,
शक्ति छीन ली जाए,
यह अप्रत्यक्ष प्रहार,
क्या हत्या नहीं है?
तो इसे आत्महत्या क्यों?
हत्या क्यों न कहा जाए?
🖊️सुभाष कुमार यादव