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The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

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Dastan-E-Shayra By Reena Kumari PrajapatDastan-E-Shayra By Reena Kumari Prajapat

कविता की खुँटी

                    

आत्महत्या

आत्महत्या,
एक जघन्य अपराध,
प्रत्येक मानव के लिए,
जितना साहस करते,
इस कुकृत्य के लिए,
उतना जो कर लेते,
जीवित रहने के लिए,
जीवन जीते आराम से।
इस शब्द ने मन को,
झकझोर कर रख दिया,
क्या? इसे आत्महत्या,
कहना उचित होगा।
बल या छल पूर्वक,
शारीरिक प्रहार कर,
किसी को जान से मारना,
अगर हत्या है,
तो किसी को इस प्रकार,
विवश, लाचार करना कि,
उसके विचार, भावनाएँ,
चिंतन, मनन की क्षमताएं,
कुंठित हो कर मर जाएँ।
उसके जीवित रहने की,
शक्ति छीन ली जाए,
यह अप्रत्यक्ष प्रहार,
क्या हत्या नहीं है?
तो इसे आत्महत्या क्यों?
हत्या क्यों न कहा जाए?
🖊️सुभाष कुमार यादव




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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (5)

+

Ankush Gupta said

Shabdon se atyant gahara prahar ✍️✍️

सुभाष कुमार यादव replied

रचना पर प्रतिक्रिया के लिए धन्यवाद गुप्ता सर जी।🙏🙏

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' said

🙏 सादर प्रणाम 🙏 यह कविता केवल एक रचना नहीं, बल्कि एक सशक्त प्रश्नचिन्ह है — समाज, व्यवस्था और मानवीय संवेदना पर। "हत्या और आत्महत्या" के बीच की रेखा को आपने जिस मानवता के कटघरे में खड़ा किया है, वह सोचने पर मजबूर करता है

सुभाष कुमार यादव replied

धन्यवाद पचौरी सर। मैं ऐसा महसूस करता हूँ कि कुछ विषय ऐसे हैं, जिन पर प्रश्नचिन्ह उठाना आवश्यक है। 🙏🙏

मनोज कुमार सोनवानी "समदिल" said

किसी को जान से मारना, हत्या का पाप है,पर किसी मन के अंदर जीवित विचारों को मारना, जघन्य पाप है , विचारणीय विषय को आलोकित करती सुन्दर भावपूर्ण रचना। सुभाष जी, बधाई!!

सुभाष कुमार यादव replied

धन्यवाद समदिल सर जी।🙏🙏

Supriya sahu said

भावपूर्ण रचना सर जी, आपको सादर प्रणाम 🙏🙏।

सुभाष कुमार यादव replied

धन्यवाद सुप्रिया जी।🙏🙏

Kapil Kumar said

Uttam rachna 👌👌

सुभाष कुमार यादव replied

धन्यवाद कपिल सर जी।🙏🙏

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