दर्दे दिल को वो मज़ाक समझते हैं
पर ..किया ना इश्क़ कभी जो
वो क्या ख़ाक समझते हैं।
लुटाकर सबकुछ अपना
हो गए हम नाकाम
मेरे पीछे पड़े थे मेरे चाहने वाले
लेकर झगड़े तमाम।
हम चुप थे तो उनको दिक्कत थी
बोलते हीं वो रुकसत कीं
लगा कर मुझपे तमाम इल्ज़ाम
ऐसे हैं वो मेरे मेहरबां...
और क्या सुनाए..अपनी दास्तान..
वह! क्या ख़ूब पाया नसीबा हमने भी
हम आह करतें है भी तो वो
बदनाम करतें हैं।
क्या ख़ाक करेगा प्यार कोई
इस जहां में..
अरे प्यार करने वालों को कुछ भी नही
मिलता।
बस बात बात पर लोग तोहमतें आम
करतें हैं।
कईं खुलकर तो कईं छुप कर बदनाम करतें हैं।
दर्दे दिल को वो मज़ाक समझतें हैं
किया ना इश्क़ कभी जो...
वो क्या ख़ाक समझतें हैं...
वो क्या ख़ाक समझतें हैं...

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




