कायरता
डॉ. एच सी विपिन कुमार जैन "विख्यात"
फूलों सी मासूमियत को लहू से रंग डाला,
घाटी की शांति को तुमने फिर से जला डाला।
ये कायरता का कृत्य, न मिटा पाएगा प्यार,
हर शहीद की याद बनकर, धधकेगा अंगार।
हर आँसू जो आज बह रहा है घाटी में,
बदले की ज्वाला बनेगा कल माटी में।
ये निर्दोषों का बलिदान व्यर्थ न जाएगा,
शांति का हर दुश्मन, सज़ा पाएगा।
तुमने छेड़ी है जो नफरत की ये आंधी,
मिट जाएगी तुम्हारी हर एक आबादी।
प्यार की ज़मीन पर बोया है जो काँटा,
लहू से सींचोगे, दर्द पाओगे बाँटा।
कश्मीर की फिज़ा में घुलेगा फिर से अमन,
मिट जाएगा दहशत का हर काला दमन।
शहीदों की कुर्बानी लाएगी रंग नया,
प्यार और भाईचारे का बजेगा नगमा नया।