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The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra The Flower of WordThe novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

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Dastan-E-Shayara By Reena Kumari Prajapat

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The novel 'Nevla' (The Mongoose), written by Vedvyas Mishra, presents a fierce character—Mangus Mama (Uncle Mongoose)—to highlight that the root cause of crime lies in the lack of willpower to properly uphold moral, judicial, and political systems...The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

                    

थकने लगे हैँ मेरे पांव


जिंदगी की बिसात पर कैसे चलीं हैं तूने ये दांव l
गुल से रस्ता ढँक दिया है थकने लगे हैँ मेरे पांव l

नहीं सहज है रिश्ते सारे छिछले हर ज़ज्बात हैं,
कुछ पाए हैं कुछ खोए जब पहुँचे अपने गांव l

जिनको खोजा हम किए सरे राह कूचा और गली,
काट कर सब शाख बैठे अपने रोपे पेड़ों की छांव l

धमा चौकड़ी करते-करते सोया है बच्चा देर से,
भोर से छत के मुंडेरो से कौआ पुकारे कांव कांव l

नहीं धमा धम शोर सुबह की खेत हैं वीरान सा,
शहरों सी अलसाई नशे में डूबा रहता है ये गांव l

दरिया की लहरें ऊंची थीं और हवाएँ थीं पुरजोर
तूफानों से पार निकल कर अब बांधी है मैंने नांव l

जाल है लेकर निकला पर सजग बहुत मछलियां हैं,
तूफ़ाँ मचा देंगीं सब मिल के जैसे उसने बांधी नांव l

आओ सब मिल फूल खिलायें हर घर हर राह में,
दूर फलक पर सूरज डूबा रात में बैठें अपने ठांव l

विजय प्रकाश श्रीवास्तव (c)




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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (5)

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Bhushan Saahu said

Bahut khoob kha

विजय प्रकाश श्रीवास्तव replied

श्री भूषण साहू जी, आप का बहुत बहुत आभार- रचना पसंद करने एवं अपनी राय देने के लिए .🙏

रमेश चंद्र said

शब्दों का बहुत खूबसूरत चयन है बहुत सुंदर रचना

विजय प्रकाश श्रीवास्तव replied

श्री रमेश चंद्र जी, उत्साह वर्धन के लिए आप का साधुवाद और आभार . रचना " थकने लगे हैँ मेरे पांव " आप ने पढ़ी और सुन्दर लगी, यही मेरा पारिश्रमिक है .🙏

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' said

बहुत ही शानदार प्रस्तुति महोदय प्रणाम स्वीकार करें

विजय प्रकाश श्रीवास्तव replied

श्री अशोक कुमार जी , रचना" थकने लगे हैं मेरे पांव" आप को पसंद आयी, यही मेरा पारिश्रमिक है. आप को मेरा साधुवाद और आभार. 🙏

रीना कुमारी प्रजापत said

बहुत सुंदर रचना

विजय प्रकाश श्रीवास्तव replied

रीना जी की प्रतिक्रिया का हार्दिक आभार. 🙏

Shyam Kumar said

Bahut bdiya...

विजय प्रकाश श्रीवास्तव replied

श्री श्याम कुमार जी, आप को मेरी रचना " थकने लगे हैं मेरे पांव " पसंद आयी , मेरा श्रम सार्थक हुआ . आप का बहुत बहुत आभार 🙏

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