कविता : घड़ी....
हमारा हर दिन गुजरता
जा रहा ये कोई देखते नहीं
हम घड़ी को रोक सकते मगर
समय को रोक सकते नहीं
हम घड़ी को रोक सकते मगर
समय को रोक सकते नहीं.......
netra prasad gautam
New रचनाकारों के अनुरोध पर डुप्लीकेट रचना को हटाने के लिए डैशबोर्ड में अनपब्लिश एवं पब्लिश बटन के साथ साथ रचना में त्रुटि सुधार करने के लिए रचना को एडिट करने का फीचर जोड़ा गया है|
पटल में सुधार सम्बंधित आपके विचार सादर आमंत्रित हैं, आपके विचार पटल को सहजता पूर्ण उपयोगिता में सार्थक होते हैं|
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जा रहा ये कोई देखते नहीं
हम घड़ी को रोक सकते मगर
समय को रोक सकते नहीं
हम घड़ी को रोक सकते मगर
समय को रोक सकते नहीं.......
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