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The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

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Dastan-E-Shayra By Reena Kumari PrajapatDastan-E-Shayra By Reena Kumari Prajapat

कविता की खुँटी

                    

कविता : शायद तभी....

कविता - शायद तभी....
न किसी ने इश्क लड़ाया
शायद तभी प्यार करने न आया

न किसी ने गले से लगाया
शायद तभी प्यार करने न आया

न किसी ने समझाया
शायद तभी प्यार करने न आया

न किसी ने रास्ता दिखाया
शायद तभी प्यार करने न आया

न किसी ने नजर मिलाया
शायद तभी प्यार करने न आया

न किसी ने पास बुलाया
शायद तभी प्यार करने न आया

न किसी ने बहलाया
शायद तभी प्यार करने न आया

न किसी ने सहलाया
शायद तभी प्यार करने न आया
शायद तभी प्यार करने न आया.......




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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (2)

+

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' said

महोदय यह रचना तो बिल्कुल विरोधाभास है आपकी रचनाओं में इतना प्यार भरा पड़ा है फिर आप कैसे कह सकते हैं की प्यार करना नहीं आया आप सबसे प्यार करते हैं सबसे ज्यादा प्यार तो आप बच्चों से करते हैं आपकी रचनाओं में प्यार उमड कर आता है यदि मैं कहीं गलत हूं तो कृपया क्षमा करें और इसके साथ ही प्रणाम स्वीकार करें

नेत्र प्रसाद गौतम replied

नमस्कार अशोक कुमार जी आप ने बहुत अच्छा सुझाव दिया है आप की कोई गलती नहीं कविता लिखते बखत कुछ कुछ फरक भी लिखना पड़ता है अगर मेरे से भूल हुई है तो कृपया क्षमा करें और इसी तरह सुझाव देते रहें आप को फिर से धन्यवाद।

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' said

Nahi mahoday rachna ek dam durust h apni jagah aur aapse bhi koi bhool nahi huyi hai...Mera aadhar suchak shabdon m itna kahna tha ki rachna k vipreet aapka jiwan bilkul ulta lagta hai...jisme pyar hi pyar bhara pada hai har kisi k liye.... Rachna apni jagah bahut khoobsoorat hai...10/10...bas mene to aapke jiwan shaili ke virodabhas ko bhapkar aap tak pahuchana chaha tha. Usako sakaratmak tarah se lene k liye abhaar apki rachnayein padhna bahut pasand h bahut Judi Judi si lagti h dil ke kareeb. Pranam mahodaya 🙏🙏

नेत्र प्रसाद गौतम replied

Thank you Ashok Ji!

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