समय जैसे,
बिना ब्रेक की गाड़ी,
जिसकी हम सब एक सवारी l
मोड़ अनेक,
स्टेशन एक l
वो है 'मौत',
खतरनाक बहोत l
कोई सड़क नही,
तड़क-भड़क नहीं l
ऊपर से नीचे,
नीचे से ऊपर l
गोल-गोल घूमती ही रहती
3 पहिये की गाड़ी l
पकड़ो भी तो छोड़ ही जाती गाड़ी,
करती ही रहती नई तैयारी गाड़ी l
----अमित सोलंकी