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The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

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Dastan-E-Shayra By Reena Kumari PrajapatDastan-E-Shayra By Reena Kumari Prajapat

कविता की खुँटी

                    

मेरा इंतिक़ाम देखेंगे

बहुत मासूम बन लिए हम,
मिला कुछ भी नहीं हमे मासूम बनके।
किसी ने गाली दी तो किसी ने दिल तोड़ा
किसी ने बदनामी का जबरदस्त तमाचा मारा,
बस यही मिला हमे ये सब करके।

मोहब्बतें बहुत लूटा दी हमने और
बदले में हमे सिर्फ़ नफ़रतें मिली।
बहुत देख लिया लोगों ने मेरा साधापन,
अब ये मेरी बे-रूख़ी देखेंगे।

अब ये लोग जो हमे दर्द पर दर्द दिए जा रहे हैं
मेरा गुस्सा देखेंगे,
अब ये मुझसे थर - थर कांपेंगे,
तभी समझेंगे ये कि हम क्या चीज़ हैं
जब ये मेरा इंतिक़ाम देखेंगे।

बड़ी इज़्ज़त दी मैंने लोगों को,
पर मुझे इनसे सिर्फ़ रुसवाई मिली।
वफ़ा क्या होती है ये बहुत बता दिया मैंने इन्हें,
अब ये मेरी बे-वफ़ाई देखेंगे।

🖊️ रीना कुमारी प्रजापत 🖊️




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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (5)

+

कमलकांत घिरी said

बहुत खूब दीदी जी, बहुत ही उम्दा लिखा आपने 👌👌👏👏🙏

रीना कुमारी प्रजापत replied

Thanks bhai

श्रेयसी said

Kabhi-kabhi jabaab dena hin partaa hai 👌👌🙏🙏

रीना कुमारी प्रजापत replied

🙏🙏

Lekhram Yadav said

हूं, कितना सुन्दर है रे, तेरा इन्तजाम मेरी प्यारी बहना, डर लग रहा है अब हमें तो माफ ही कर दीजिए, आपको सादर प्रणाम।

रीना कुमारी प्रजापत replied

Apko darne ki zarurat nahi apto ache hai , ye unke liye hai jo mere sath bura bartaw karte hain

Arpita pandey said

बहुत सुंदर पंक्तियां ओहहो इतना गुस्सा हमें तो आपसे स्नेह से ही मिलें हमारी यहीं कामना है

रीना कुमारी प्रजापत replied

Bilkul di aap achi hai apko humse humesha pyar hi milega ye rachna bure logo ke liye hai

श्रेयसी said

satishfmc@gmail.com

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