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कविता की खुँटी

        

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Dastan-E-Shayra By Reena Kumari PrajapatDastan-E-Shayra By Reena Kumari Prajapat

कविता की खुँटी

                    

सोचना कैसा है इसमें - अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र'

इक सुन्दर 'कविता' सी हो खुद, 'शब्द' ओढ़े जो चले,
सोचना कैसा है इसमें, चलती फिरती 'नज़्म' हो,
देखने में ऐसे हैं लगतीं, 'शायरी' हो या परी,
'जिन्दादिल' हो 'शान' हो खुद, आपसे हैं 'महफिलें',

एक तरफ हैं 'आप' तो, दूजी 'हुनर' है आपका,
राह में संगीत बजता, घर से निकलते आप जब,
'रौशनी' होती है तुमसे, 'चांदनी' भी आपसे,
इक सुन्दर 'कविता' सी हो खुद, 'शब्द' ओढ़े जो चले।

'आप' चलती हैं, तो चलती हैं हवाएं, सन सनन,
आपकी पायल के घुंघरू भी बजे हैं, खन खनन,
'आप' निकलें राहों में जब, चाँद भी शर्माता है,
दिन में जब भी धुप बदले, छाँव निकले आसमान,
तब ही समझो आरहा है, आपका कोई काफिला,
हाँ यक़ीनन 'आप' ही बस आपसे, होता है ये,
इक सुन्दर 'कविता' सी हो खुद, 'शब्द' ओढ़े जो चले।

'बारिशें' होती हैं जब भी, मुस्कुराते 'आप' हो,
बस इतनी पहचान है काफी, कहने को यह 'आप' हो,
'आप' मिले कहीं राह में, या भरी 'महफ़िल' कहीं,
इतने निशाँ जेहन में है, हम कह सकें यह 'आप' हो,
सोचना कैसा है इसमें, चलती फिरती 'नज़्म' हो,
इक सुन्दर 'कविता' सी हो खुद, 'शब्द' ओढ़े जो चले।

----अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र'




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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (9)

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Lekhram Yadav said

सादर नमस्कार सर, आखिर सोचते- सोचते आपने भी लिख ही डाली कविता, अच्छा लगा पढ़कर, पर आपने ये सोचकर लिखी या अपनी 'उस' को देखकर, खैर कुछ भी हो, हमें बहुत अच्छी लगी।

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' replied

सादर प्रणाम सर जी, आपकी प्रतिक्रिया और तेज नजर दोनों के लिए बहुत बहुत आभार श्रीमान जी, एक गीत गुनगुना रहा था गुनगुनाते गुनगुनाते कविता बन पड़ी तो लिख लिया, अपना आशीर्वाद बनाये रखें, कोशिश करेंगे उनको सुना पाएं कभी, मगर अबतो काफी देर हो चुकी है, वो कभी बस नज़रों के सामने हुआ करती थीं, अब तो बहुत दूर जा चुकी हैं और फ़िलहाल उनका कोई अता-पता नहीं है, वैसे अते-पते की जरुरत तो नहीं है, अगर लाइफ में कभी मिलेंगे तो दिल की बात कहेंगे उनसे कभी कभी ऐसा मन में विचार आता है, मगर लाइफ में इतना आगे बढ़ चुके हैं कि अबतो बात कहने का भी कोई औचित्य नहीं है, खलिश सी बाकी है, पर कोई बात नहीं यह आपकी कविता शायरी ग़ज़ल ही काफी हैं उस खलिश को छुपाने के लिए, अब वो जैसे हैं जहाँ हैं बस कुशल रहे यही दुआ है, सोचना इसलिए पड़ा कि आज Mam, ने सवाल ही वाजिब कर दिया जिसने झकझोर दिया, फिर उनकी रचनाओं और हुनर को जितना में समझ पाता हूँ के हिसाब से और कुछ इधर उधर से लेकर जबाब देने का प्रयास किया, मुझे आशा है आप भी कोई खूबसूरत सा जबाब जरूर लिख चुके होंगे आपके जबाब का इंतज़ार है - आदरणीय को सादर प्रणाम, पुनः प्रतिक्रिया एवं रचना को पढ़ने के लिए हृदय से धन्यवाद!!

रीना कुमारी प्रजापत said

Main kya kahu kuch samajh nhi aa raha matlab.....🙏🙏😊

रीना कुमारी प्रजापत said

Yadav ji bhaisahab ye kavita ashok ji ne apni chhoti bahan ke bare mein sochate huye uske liye likhi hai apani 'un' ke liye nahi

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' replied

जी अवश्य जैसा कि मेने ऊपर यादव जी की प्रतिक्रिया पर भी कहा है, यह उनके लिए नहीं हैं यह रीना Mam, के उस वाज़िब सवाल का जबाब है, जिसमे उन्होंने लिखन्तु परिवार से रचना के माध्यम से पूछा है जो कहीं न कहीं बार बार कहता है कि, इतने सारे लोगों को हम यहाँ पढ़ रहे हैं अगर कहीं मुलाकात हुयी तो उनको पहचानेंगे कैसे, बस उसी सवाल का जबाब देने की कोशिश की है, हमारी वो तो कब की ना जाने कहाँ जा चुकी हैं, जिनका हमें अता पता भी नहीं है तो यह उनके लिए नहीं है, रीना Mam, उस सुन्दर रचना के लिए बहुत बहुत आभार जिसने हम सबको एक अच्छे सोच विचार तक लेजाने का काम किया और यह कविता निकल कर आयी, आप वास्तव में बेहतरीन लिखती हैं आशा है यह सिलसिला यूँ ही चलता रहे, आपकी प्रतिक्रिया के लिए बहुत बहुत आभार Mam!!

रीना कुमारी प्रजापत said

Haa ye payal ke ghungharu unke liye ho sakte hai kyonki hum payal nhi pahante hai

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' replied

Nahin isme se kuch bhi unke liye nahin hai, Isme thoda bahut idhar udhar se liya gaya hai baaki aapki rachnaon ko jitna samjh paaya hun usme se liya hai..., Kuch Pratikatmak to kuch bhavnatmak to kuch yatharth hai. Kul Milakar Mam, Ham aapko Pahchan Lenge...🙏🙏 Chahe Aap Kahin Bhi Milein. Saadar Pranam 🙏🙏

रीना कुमारी प्रजापत said

Bahut bahut shukriya apka ki aap hume pahchan lenge 😊😊pranaam🙏🙏

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' replied

🙏🙏

वन्दना सूद said

एक एक शब्द बहुत ख़ूबसूरती से सजाया 👌👌👏👏वाह वाह!!बहुत सुन्दर रचना

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' replied

आपकी प्रतिक्रिया एवं सुन्दर सराहना के लिए आपका बहुत बहुत आभार Mam, आपका आशीर्वाद सदैव इसी प्रकार बनाये रखें सादर प्रणाम Mam

सुभाष कुमार यादव said

बहुत सुंदर रचना बिम्ब और चित्र का कविता में अद्भुत संयोजन। एक-एक पंक्ति दृश्य प्रस्तुत करती हुई। वाह!👌👌👌🙏🙏

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' replied

बहुत बहुत आभार यादव सर जी, आपकी प्रतिक्रिया अवश्य ही और बेहतर लिखने के लिए प्रेरित कर रही है, आपने रचना पढ़ी एवं प्रतिक्रिया के योग्य पाया मैं धन्य महसूस कर रहा हूँ, आप जैसे उच्च एवं सक्षम श्रेणी के रचनाकार से प्रोत्साहन पाकर खुद को और बेहतर लिखने के लिए प्रेरणा मिलती है, सादर प्रणाम सर

श्रेयसी said

Kya kahne hain Ashok ji bahut khoob bahut sundar kalpna 👌👌🙏🙏

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' replied

आपका बहुत बहुत आभार Mam, इस सुन्दर प्रतिक्रिया के लिए - अपना आशीर्वाद इसी तरह बनाये रखें सादर प्रणाम !!

कमलकांत घिरी said

वाह आर्द्र सर जी कमाल की रचना पेश किए हैं, इतनी सारी खूबियां की मलिका को पहचानना मुश्किल तो बिल्कुल नहीं होगा, बहुत सुंदर रचना है सर जी 👌🙌👏 प्रणाम सर जी🙏🙏

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' replied

Thank you very much Kant sir ji 🙏🙏

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