कविता : प्रकृति....
जहां जनम है
वहीं मृत्यु है
जहां मृत्यु है
वहीं जनम है
जहां बल है
वहीं निर्बल है
जहां निर्बल है
वहीं बल है
जहां दुख है
वहीं सुख है
जहां सुख है
वहीं दुख है
जहां कृति है
वहीं विकृति है
जहां विकृति है
वहीं कृति है
यही प्रकृति है
यही प्रकृति है.......