एक ही शक्ति है ,
जिसने सबको बनाया
धर्मों से कैसे बाँट सकते हो
तुम उस अद्वितीय को
जिसने एक आसमाँ बनाया
एक सूरज और एक ही चन्दा बनाया
अन्न उगाने के लिए
एक ही धरती बनाई
सांस लेने के लिए हवा भी
सबके लिए एक समान चलाई
सागर,नदियाँ,झरने सबके लिए बनाए
जब बनाने वाले ने कोई भेद नहीं किया
तो हम अपने पैरों में
धर्म की जंजीरें क्यों डालते हैं ?
हर धर्म सेवा,भक्ति,मान,
अहिंसा और शान्ति सिखाता है
नहीं है किसी भी धर्म की राह
अशान्ति और हिंसा की
तो हम कौनसी उलझनों में उलझे हैं ,
क्यों ?एक दूसरे को नष्ट करने में लगे हैं
स्वधर्म के लिए प्रकाश बनो,
अशान्ति फैलाने वाला शोर नहीं
अपने धर्म को मान तभी दिलवा पाएँगे,
जब हम सब धर्मों का सम्मान कर पाएँगे..
----वन्दना सूद