आँख से टपक कर आँसू बह जाती है,
बिना कहे भी बहुत कुछ कह जाती है।
उदासियों का ये दौर छूटता ही नहीं,
मायूसी चेहरे पे हर बार रह जाती है।
भूख से तड़पती वो नन्हीं सी जान,
बेबसी का घुट पी सब सह जाती है।
ख़्वाब में भी अगर बनाती है वो घर,
वास्तविकता की आँधी से ढह जाती है।
🖊️सुभाष कुमार यादव