कापीराइट गजल
यह नया साल एक दिन गुजर जाएगा
किसी दिन खुमार इसका उतर जाएगा
मना लो आज खुशियां मिल कर अपनी
जो भूत है सवार तुम पर उतर जाएगा
ये वक्त रहता है चलता यूं ही रात दिन
हर एक लम्हा वक्त का, गुजर जाएगा
साथ चलता नहीं कुछ भी मरने के बाद
ये धन दौलत लेकर के तू किधर जाएगा
जिस दिन भी होगा ये वक्त तेरा अपना
यह वक्त भी उस दिन तो ठहर जाएगा
कराहेगी जिस दिन ये जिंदगी दर्द से
उस दिन तो यह वक्त भी मुकर जाएगा
इन्सानियत को न तुम कभी भूलना यादव
वर्ना यह साल भी यूं ही गुजर जाएगा
- लेखराम यादव
( मौलिक रचना )
सर्वाधिकार अधीन है