आसमाँ और ज़मीं
आसमाँ छूने की चाह रखना कुछ गलत नहीं है
गलत है ज़मीं पर रहने वालों को कुछ न समझना
आसमाँ छूने वाले अक्सर भूल जाते हैं
कि ऊँचाई की कोई हद नहीं होती
यदि हद खत्म हो भी गई फिर नीचे आने की वापिसी तय है
और ज़मीं पर चलने वालों के लिए नीचे जाने की कोई राह नहीं है
इसलिए उनकी उड़ान तय है
अहम् उतना ही रखना चाहिए जो आपको नीचे न गिरा पाए
और झुकना उतना ही चाहिए जो आपके स्वाभिमान को चोट न पहुँचाए …
वन्दना सूद
सर्वाधिकार अधीन है

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




