कविता : मुर्गा चोर....
एक आदमी का मुर्गा दूसरे
आदमी के घर आया
दूसरे आदमी ने उस मुर्गे को
पकड़ काट कर खाया
ये खबर किसी ने वो
आदमी के घर पहुंचाया
वो आदमी दूसरे आदमी
के पास एक दम से आया
उसने घुसे में जा कर दूसरे
आदमी को मारा चाटा
और बोला मेरे मुर्गे को
तूने किस लिए काटा ?
उस मुर्गे का मांस सारा
का सारा खा भी लिया
कभी टांग कभी गर्दन
उसका पूरा चबा भी लिया
दूसरा आदमी, तेरे घर का मुर्गा
मेरे घर आया किस लिए ?
वो बहुत तंग कर रहा था उसे
काट कर खाया इस लिए
एक आदमी, मेरा मुर्गा काट कर
खाया तू हराम खोर है
अरे तू तो इंसान ही नहीं तू
एक नंबर का चोर है
मेरा मुर्गा जिंदा दे नहीं
तो पुलिस बुलाऊंगा
हाथ कड़ी लगा कर
तुझे थाने पहुंचाऊंगा
दूसरा आदमी, अब क्या बोलूं
बहुत मजा आ चुका
तेरा मुर्गा नहीं दे पाऊंगा अरे
भाई वो तो मैं खा चुका
इतने में वहां पर
पुलिस आती है
वे दोनों को वैन में डाल
थाने ले जाती है
वे दोनों को वैन में डाल
थाने ले जाती है.......
netra prasad gautam