कविता:कितने दूर कितने पास
दिनांक: 20/08/2025
शिव कितने दूर कितने पास नहीं जानता हु।
जब भी आंख बंद करू शिव को ही पाता हु।
बस भोले बाबा से दर्शन की मन्नत मांगता हु।
भोले की भक्ति जिसने की में उनसे पूछता हु।
शिव की महिमा देख भजन भोले के गाता हु।
ओम नमः शिवाय मंत्रों को जपता में रहता हु।
शिव कितने दूर कितने पास नहीं जानता हु।
जब भी आंख बंद करू शिव को ही पाता हु।
हा अमरनाथ बाबा के दर्शन करना चाहता हु।
हा बर्फीले बाबा के चरणों में पनाह मांगता हु।
हा उज्जैन नगरी में हर महीने जाना चाहता हु।
महाकाल की आरती करू सौभाग्य चाहता हु।
शिव कितने दूर कितने पास नहीं जानता हु।
जब भी आंख बंद करू शिव को ही पाता हु।
शिव का आशीर्वाद मिल जाए यही चाहता हु।
शिव जीवन में मेरे खुशियां हजार मांगता हु।
भोले बाबा का आशीर्वाद व प्रसाद मांगता हु।
अंतर्मन से में केवल शिवाय शिवाय जपता हु।
शिव कितने दूर कितने पास नहीं जानता हु।
जब भी आंख बंद करू शिव को ही पाता हु।
सत्यवीर वैष्णव
बारां 💞✒️💞