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The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

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Dastan-E-Shayra By Reena Kumari PrajapatDastan-E-Shayra By Reena Kumari Prajapat

कविता की खुँटी

                    

याद

याद
कभी हम मिले थे पेड़ के तले याद है
आज रुसवा क्यों है दिल में, फरियाद है।

तुम्हारा वह रूठना वो मेरा मनाना घंटे भर
बारिश की बूँदों में भीगना आज भी याद है।

दो चार कदम ही चले थे चमन में हम साथ
तुम्हारा थकना, वो तुम्हें उठाना याद है।

घर बसाने की बात तुमने ही की थी मुझे
यों अकेले ही राह में छोड़ देना याद है।

जिंदगी तो यूँ ही गुजर रही है, जानते सभी
जिंदगी में हम कबसे जुड़े हैं, आज याद है।
प्रा धन्यकुमार जिनपाल बिराजदार, सोलापुर, महाराष्ट्र




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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (2)

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मनोज कुमार सोनवानी "समदिल" said

पावन प्रेम की की पावनता को बड़ी ही जिम्मेदारी और सुंदरता से उकेरा है आपने। बिछड़े,भूलाए प्रियतमा की याद में हृदय की वेदना को सहेज सरल भाषा में बहती हुई धारा की तरह चित्रण किया है आपने। वाह बहुत खूब। नमस्कारम्।

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' said

बहुत ही भावुक और यादों से भरी कविता है। अतीत के वो पल जिनमें खुशियाँ और ग़म दोनों छुपे हैं, दिल को छू जाते हैं। धन्यवाद इसे साझा करने के लिए - नमस्कार

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