कविता : जिंदगी में क्या रखा है....?
तुम शाम को पार्क में जाती हो
मैं भी वहां जाता हूं
कभी अकेली कभी सहेली के
साथ मैं तुम्हें पाता हूं
हर दिन तुम मुझे देखती हो
मैं भी तुम्हें देखता हूं
न बात तुम कर सकती हो न
बात मैं कर सकता हूं
देखो, सिर्फ देखने से
कुछ भी हाथ नहीं आएगा
पास आओ बैठ जाओ नहीं
तो यह बखत भी जाएगा
ये जहां में दोनों का ही
छोटा सा जीवन है
उस से भी छोटा हम
दोनों का यौवन है
इधर उधर हर
तरफ हम ने देखा है
गले मिलो प्यार करो
जिंदगी में क्या रखा है ?
गले मिलो प्यार करो
जिंदगी में क्या रखा है.......?
netra prasad gautam