“ज़िन्दगी की दौड़ “
चेहरे की मासूमियत ,
आँखों में दिखती शरारतें , वो
खिलखिलाकर हँसना ,
अपनों का प्यार और कई मीठी -मीठी
बचपन की आदतें….
ज़िन्दगी की दौड़ में न खो देना ।
ग़म मिलें तो मुस्कुराकर गुज़ार देना ,
ख़ुशी मिले तो शुक्र मनाना,
ख़्वाबों की उड़ान तो भरना ,
मगर अपना आशियाँ धरती पर ही बनाना।
अपनों को साथ ले कर ही कामयाबी की सीढ़ियाँ चढ़ना ।
वन्दना सूद
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