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The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra The Flower of WordThe novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

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Dastan-E-Shayara By Reena Kumari Prajapat

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The novel 'Nevla' (The Mongoose), written by Vedvyas Mishra, presents a fierce character—Mangus Mama (Uncle Mongoose)—to highlight that the root cause of crime lies in the lack of willpower to properly uphold moral, judicial, and political systems...The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

                    

अपने हिसाब चला

मैं अपने हिसाब, और वक़्त अपने हिसाब चला..
दो कदम हकीकत चली, चार कदम ख़्वाब चला..।

अंधेरों की बस्तियों में हम, उजाले की हाट लगाए..
इंतज़ार में रह गए, धुंधलका ओढ़े आफ़्ताब चला..।

ज़माने की निगाहों में तो, सब ग़ुनाह पोशीदा रखे..
मगर ना जाने कब, साथ हमारे वो अज़ाब* चला..।

उम्र यूं गुज़ारी कि, दामन अपना बे–दाग रह गया..
फिर वज़ह क्या जो, सिलसिला-ए-इज़्तिराब* चला..।

ज़मीं ने ये क्या कहा, कि आसमां मायूस हो गया..
मैं भी सुन न सका, जाने क्या सवाल ज़वाब चला..।

कब तक सुस्ताएंगी ये उनींदी सी नई नस्लें अपनी..
जाने कौन वक्त था जब, दौर–ए–इंक़िलाब चला..।

कि बदल जाएंगे अबकी, तेरे हाल–ओ–जार सब..
ये फ़रेब दिलाकर देखिए, फिर कोई इंतिख़ाब चला..।
* अज़ाब –वो सज़ा जो ईश्वर देता है
* सिलसिला–ए–इज़्तिराब–मुश्किलों का दौर
पवन कुमार "क्षितिज"




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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (5)

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सुप्रिया साहू said

मैं अपने हिसाब, और वक़्त अपने हिसाब चला..
दो कदम हकीकत चली, चार कदम ख़्वाब चला..।
सत्य है, हम अपने हिसाब चलते हैं और वक्त अपने हिसाब चलते हैं, बहुत खूबसूरत रचना सर 👌👌, आपको सादर प्रणाम 🙏🙏।

सरिता पाठक said

मैं अपने हिसाब और वक़्त अपने हिसाब चला, दो कदम हकीकत चली, और चार कदम ख्वाब चला बहुत ही सुन्दर, हर पंक्ति लाजबाब 👌👌ह्रदय स्पर्शी सादर नमस्कार भईया जी 👌👌🙏🙏

विनय कौशिक said

अद्भुत अभिव्यक्ति! चिंतन, अनुभव और सामाजिक सच्चाई का संगम 👌👌

मनोज कुमार सोनवानी "समदिल" said

जिंदगी की कड़वी और मीठी सच्चाइयों का गहरा अनुभव और संघर्षों की कहानी का बखूबी बयान करती ये कविता खूबसूरत लिखा है आपने। सादर नमस्कार 🙏🌹

श्रेयसी said

यही होता है जो हम सोचते हैं वो कहांँ होता है , बहुत ख़ूब, बहुत सुंदर रचना 🙏🙏

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