तुम मेरे हो सकते हो पर
तुम्हारी खुशियां को दरकिनार
नहीं कर सकता मैं
दुख भरे रास्ते में न चाहते हुए
भी चलना है
काटो के इस सफर में मुझे दर्द झेलना है
तपती धूप में तुम्हारा इंतजार है
हवा के झोंको से मुझे लड़ना है
उफनती नदी की धार मुझे पार करनी है
कस्ती को तुम्हारे शहर से जो दूर करनी है
वो पा गए अपनी खुशियां
सब किस्मत का खेल है जिन्हे
रखा हमें नजरों की छांव में
आज वो धड़कन हमारी बढ़ा गए
आशाओं को छोड़कर अब नई बहार लाना है
शुभम तुमने चुनी जो राह जीवन की
अब उसी को छोड़ जाना है
नए राह में मुकद्दर आजमाना है
----शुभम तिवारी