कविता : छिपकली....
हम ने तुम को देखा
क्या गुनाह किया ?
तुम ने तो इसी को ले कर
बतंगड़ बना दिया
तुम हम को बंदर कह रही हो
देखो वैसे बंदर हम नहीं
अपने आप को क्या समझती तुम
भी छिपकली से कम नहीं
अपने आप को क्या समझती तुम
भी छिपकली से कम नहीं.......
netra prasad gautam