अपना दर्द, अपनी ज़बानी,
कैसे सुनाऊँ अपनी कहानी,
तुम धारा, मैं उसका पानी,
साथ - साथ चलती रवानी,
इश्क़ की चाह मेरी नादानी,
कितनी अल्हड़ थी जवानी,
मैं दीवाना और तुम दीवानी,
बन जाती हमारी राम-कहानी,
सच्चा इश्क़ होता है रूहानी,
जिस्म की चाहत है बेईमानी,
तुम्हारे साथ ये ज़िंदगानी,
होती कितनी ही सुहानी,
अपना दर्द, अपनी ज़बानी,
कैसे सुनाऊँ अपनी कहानी।
🖊️सुभाष कुमार यादव