मुझे बचपन के समधी मिलन की याद आ रही
बारात लड़की वालों के पंहुँची
गाँव के स्कूल में बारात को ठहराया गया
चाय नाश्ता कराया गया
बजा बज रहा था , डांस हो रहा था
पटाखे किया जा रहे थे
समधि मिलन का समय आ गया
एक तरफ दूल्हे का पिता
दूसरी तरफ दुल्हन का पिता
बाराती चारों ओर खड़े गोलाकार
दूल्हे का पिता अमिताभ जितना लम्बा
दुल्हन का पिता राजपाल यादव जैसा ठीगना
दुल्हन का पिता बांहों को सिकोड़ घुटनों को झुका
बिल्ली की तरह धीरे धीरे आगे बढ़ने लगा
पास पहुंच अचानक से,
झपट कर समधी को टांगों को पकड़
ऊपर उठा दिया सभी सकते में आ गए
फिर सभी जोर जोर से हँसने लगे